उड़ान से वंचित, रात का यात्री और संरक्षण की उम्मीद का प्रतीक
काकापो न्यूज़ीलैंड की जैव-विविधता का एक ऐसा अनमोल रत्न है, जो दुनिया के किसी और हिस्से में नहीं पाया जाता। यह तोता न केवल उड़ने में असमर्थ है, बल्कि अपनी भारी काया, उल्लू जैसे चेहरे, मीठी खुशबू और रात में सक्रिय रहने की आदतों के कारण भी बाकी पक्षियों से बिल्कुल अलग पहचान रखता है। हरे रंग के पंखों वाला यह तोता जंगलों में इस तरह घुल-मिल जाता है कि दिन में इसे देख पाना बेहद मुश्किल होता है। काकापो का जीवन ज़मीन पर बीतता है—यह उड़ने के बजाय पेड़ों पर चढ़ता है और फिर ऊपर से नीचे उतरते समय अपने पंखों को पैराशूट की तरह फैलाकर सुरक्षित उतरता है। यही विशेषता इसे प्रकृति की एक अनोखी रचना बनाती है।
काकापो को दुनिया का सबसे भारी तोता माना जाता है, जिसका वजन 3 से 4 किलोग्राम तक हो सकता है। नर काकापो आमतौर पर मादाओं से अधिक भारी होते हैं। इसकी सबसे दिलचस्प बात यह है कि इसके शरीर से फूलों और शहद जैसी मीठी खुशबू आती है, जो इसे अन्य पक्षियों से बिल्कुल अलग बनाती है। यही खुशबू कभी इसकी पहचान थी, लेकिन बाद में यही इसकी कमजोरी भी बनी, क्योंकि बाहरी शिकारी इस गंध के सहारे इसे आसानी से ढूंढ लेते थे। काकापो की उम्र भी असाधारण होती है—यह 60 से 100 वर्ष तक जीवित रह सकता है, जो पक्षियों की दुनिया में बहुत दुर्लभ है।
व्यवहार की बात करें तो काकापो पूरी तरह से निशाचर (Nocturnal) है। दिन में यह घने जंगलों, झाड़ियों या पेड़ों की जड़ों में छिपा रहता है और रात होते ही भोजन की तलाश में निकलता है। इसका भोजन मुख्य रूप से पत्तियाँ, फल, बीज, जड़ें और काई (moss) होते हैं। प्रजनन के समय नर काकापो एक खास तरह की गहरी आवाज़ निकालते हैं, जिसे “बूमिंग” कहा जाता है। यह आवाज़ इतनी शक्तिशाली होती है कि कई किलोमीटर दूर तक सुनी जा सकती है। इसी आवाज़ के माध्यम से नर मादाओं को आकर्षित करते हैं। यह प्रजनन प्रक्रिया बेहद धीमी और दुर्लभ होती है, क्योंकि काकापो हर साल प्रजनन नहीं करता—यह केवल तभी प्रजनन करता है जब जंगल में भोजन प्रचुर मात्रा में उपलब्ध हो।
संरक्षण के लिहाज़ से काकापो की कहानी संघर्ष और उम्मीद दोनों की मिसाल है। एक समय ऐसा था जब बिल्लियों, चूहों और अन्य बाहरी शिकारियों के कारण यह प्रजाति लगभग विलुप्त हो चुकी थी। लेकिन न्यूज़ीलैंड सरकार और Department of Conservation के निरंतर प्रयासों ने इसे फिर से जीवनदान दिया। आज काकापो को शिकारी-मुक्त द्वीपों पर विशेष निगरानी में रखा गया है। हर काकापो को ट्रैकिंग डिवाइस पहनाई जाती है, ताकि वैज्ञानिक उसके स्वास्थ्य, गतिविधियों और प्रजनन पर नज़र रख सकें। हालांकि इन प्रयासों से इसकी संख्या धीरे-धीरे बढ़ी है, फिर भी यह आज भी गंभीर रूप से लुप्तप्राय (Critically Endangered) श्रेणी में आता है। काकापो न केवल एक पक्षी है, बल्कि यह हमें यह भी सिखाता है कि यदि सही समय पर संरक्षण किया जाए, तो विलुप्ति के कगार पर खड़ी प्रजातियों को भी बचाया जा सकता है।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
1. काकापो उड़ क्यों नहीं सकता?
काकापो का शरीर बहुत भारी और उसके पंख छोटे होते हैं, इसलिए वह उड़ने में असमर्थ है। हालांकि, वह पेड़ों पर चढ़ने और ऊपर से नीचे उतरने में बेहद कुशल होता है।
2. काकापो को “उल्लू तोता” क्यों कहा जाता है?
इसके चेहरे की बनावट उल्लू जैसी होती है और यह रात में सक्रिय रहता है, इसलिए इसे “Owl Parrot” या उल्लू तोता कहा जाता है।
3. काकापो की खुशबू क्यों आती है?
काकापो के शरीर से फूलों और शहद जैसी प्राकृतिक खुशबू आती है, जो संभवतः साथी को आकर्षित करने और सामाजिक पहचान के लिए होती है।
4. काकापो कितने साल तक जीवित रह सकता है?
काकापो की उम्र 60 से 100 साल तक हो सकती है, जो इसे सबसे लंबी उम्र वाले पक्षियों में शामिल करती है।
5. काकापो को बचाने के लिए क्या किया जा रहा है?
इसे शिकारी-मुक्त द्वीपों पर रखा गया है, नियमित स्वास्थ्य जांच होती है, ट्रैकिंग डिवाइस लगाए जाते हैं और नियंत्रित प्रजनन कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं।