बैटरी और इंजन का अनोखा तालमेल
जब भी हम सबमरीन की बात करते हैं, हमारे दिमाग में सबसे पहले यह सवाल आता है कि इतनी बड़ी मशीन पानी के अंदर कैसे काम करती है और उसका इंजन धुआं कहाँ छोड़ता है। दरअसल, सबमरीन की सबसे खास बात यही है कि यह पानी के भीतर बिना किसी धुएं और आवाज के चल सकती है। यह सुविधा इसे दुश्मन से छुपने और लंबे समय तक पानी के नीचे बने रहने में मदद करती है।
सतह पर चलते समय सबमरीन के शक्तिशाली डीज़ल इंजन या कभी-कभी गैस टर्बाइन इंजन उपयोग किए जाते हैं। ये इंजन न केवल सबमरीन को आगे बढ़ाते हैं बल्कि बैटरियों को भी चार्ज करते हैं। लेकिन जैसे ही सबमरीन समुद्र की गहराई में जाती है, वहां इंजन बंद कर दिए जाते हैं। इसका कारण है – धुएं का न निकलना और ऑक्सीजन की उपलब्धता।
गहराई में सबमरीन पूरी तरह इलेक्ट्रिक मोटर और बैटरियों से चलती है। यही वजह है कि समुद्र की हजारों फीट गहराई में आपको न तो इंजन का शोर मिलेगा और न ही धुआं।
गहराई में संचालन का विज्ञान
समुद्र की लगभग 11,000 फीट गहराई की कल्पना कीजिए। वहां का दबाव इतना ज्यादा होता है कि इंसान या सामान्य मशीन पल भर में चकनाचूर हो जाए। लेकिन सबमरीन का ढांचा बेहद मजबूत और वैज्ञानिक तरीके से तैयार किया जाता है ताकि यह इतने दबाव को सह सके।
अब सवाल आता है कि इतनी गहराई में इंजन क्यों नहीं चलता?
इंजन को चलाने के लिए ईंधन के साथ-साथ ऑक्सीजन की भी जरूरत होती है। गहराई पर न तो हवा उपलब्ध होती है और न ही धुएं को बाहर निकालने की व्यवस्था। अगर इंजन वहां चलाया जाए तो सबमरीन के अंदर जहरीली गैस भर जाएगी। इसी वजह से इंजनों को केवल सतह पर ही चलाया जाता है।
बैटरियां इस समस्या का हल देती हैं। सतह पर जब इंजन चालू रहते हैं तो वे बैटरियों को चार्ज कर देते हैं। यही बैटरी गहराई में मोटरों को पावर देती है और सबमरीन को चलाती रहती है।

बैटरियों की सीमा और सतह पर लौटना
बैटरियों की एक सीमा होती है। वे अनंत समय तक पावर नहीं दे सकतीं। सामान्यत: बैटरियां कुछ घंटों से लेकर कुछ दिनों तक सबमरीन को शक्ति देती हैं। जब बैटरियां कमजोर पड़ने लगती हैं, तब सबमरीन को सतह पर आना पड़ता है।
सतह पर आते ही इंजन फिर से चालू किए जाते हैं। ये इंजन न केवल बैटरियों को चार्ज करते हैं बल्कि सबमरीन को आगे बढ़ाने का काम भी करते हैं। यही प्रक्रिया बार-बार दोहराई जाती है।
आधुनिक दौर में, कई न्यूक्लियर सबमरीन भी विकसित हो चुकी हैं। इनमें न्यूक्लियर रिएक्टर लगे होते हैं, जो अनगिनत समय तक ऊर्जा पैदा कर सकते हैं। इन सबमरीन को सतह पर आने की आवश्यकता बहुत कम होती है क्योंकि इन्हें ऑक्सीजन और बिजली दोनों रिएक्टर से मिलते रहते हैं। यही कारण है कि न्यूक्लियर सबमरीन महीनों तक समुद्र की गहराई में बिना रुके रह सकती हैं।
गहराई में शांति और रणनीतिक फायदा
सबमरीन का सबसे बड़ा फायदा यह है कि गहराई में यह दुश्मनों के लिए लगभग अदृश्य हो जाती है। न तो धुआं, न आवाज और न ही कोई निशान। बैटरी से चलने के दौरान यह पूरी तरह से शांत रहती है। यही वजह है कि युद्ध के समय सबमरीन का इस्तेमाल दुश्मन की निगरानी करने, अचानक हमला करने और छुपकर लंबी दूरी तय करने के लिए किया जाता है।
इस खास तकनीक के कारण सबमरीन आधुनिक नौसेना का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा बन चुकी है।
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQs)
प्रश्न 1: क्या सबमरीन का इंजन गहराई में भी चल सकता है?
नहीं, गहराई में इंजन बंद रहते हैं क्योंकि वहां ऑक्सीजन उपलब्ध नहीं होती और धुआं बाहर निकालना संभव नहीं होता।
प्रश्न 2: सबमरीन पानी के भीतर कैसे चलती है?
सबमरीन पानी के भीतर बैटरी और इलेक्ट्रिक मोटर से चलती है। सतह पर इंजन बैटरियों को चार्ज करते हैं और वही ऊर्जा गहराई में इस्तेमाल होती है।
प्रश्न 3: बैटरियां कितने समय तक चलती हैं?
यह सबमरीन के डिजाइन और बैटरी की क्षमता पर निर्भर करता है। सामान्यत: कुछ घंटों से लेकर कुछ दिनों तक बैटरियां शक्ति देती हैं।
प्रश्न 4: आधुनिक न्यूक्लियर सबमरीन की खासियत क्या है?
न्यूक्लियर सबमरीन में रिएक्टर लगे होते हैं, जो लगातार बिजली पैदा करते रहते हैं। इन्हें सतह पर बार-बार आने की जरूरत नहीं होती और ये महीनों तक पानी के नीचे रह सकती हैं।
प्रश्न 5: गहराई में धुआं क्यों नहीं निकलता?
क्योंकि वहां इंजन बंद रहते हैं और सब कुछ बैटरी पावर से चलता है। धुआं केवल तब निकलता है जब इंजन सतह पर चालू होते हैं।